वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />८ दिसम्बर, २०१५<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />तत्त्वं यथार्थमाकर्ण्य<br />मन्दः प्राप्नोति मूढतां।<br />अथवा याति संकोचम-<br />मूढः कोऽपि मूढवत्<br />अष्टावक्र गीता ॥१८- ३२॥<br /><br />प्रसंग:<br />शास्त्र पढ़ने से क्या लाभ?<br />ग्रंथो का अध्ययन कैसे करें?<br />क्या ग्रन्थ एक किताब मात्र होती है?<br />क्या ग्रन्थ पढने - पढने वाले पर निर्भर करता है?<br />जानना और मानना क्या?<br />आध्यात्मिक ग्रंथों की क्या उपयोगिता है?<br />आध्यात्मिक ग्रन्थ सत्य को स्थापित करने में कैसे मददगार होते हैं?<br />आध्यात्मिक ग्रन्थ किन्हें पढ़ना चाहिए और किन्हें नहीं?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते